बस्ती में जन्मी, पली और बढ़ी अंतरराष्ट्रीय मास्टर एथलीट नीलू (46) की जिन्दगी कई उतार-चढ़ाव से गुजरी। बस्ती जिले से स्नातक तक की पढ़ाई की। स्कूल व विश्वविद्यालय स्तर पर अपना लोहा मनवाने के बाद उनकी शादी 1995 में मर्चेन्ट नेवी में चीफ इंजीनियर वाराणसी के आनन्द दूबे के साथ हुई। मर्चेन्ट नेवी में होने से आनन्द भी परिवार को अधिक समय नहीं दे पाते थे। नीलू ने इसी साल बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर की परीक्षा पास कर ली। पहली तैनाती फैजाबाद में और फिर तबादला वाराणसी हो गया। 1997 में बेटे को जन्म देने दिया और 2002 में किडनी और हार्ट की बीमारी की वजह से छह साल तक दवा चली।
14 साल तक खेल से दूर रहने वाली नीलू बतातीं है कि रात में जब वो सोती थी तो खुद को सपने में दौड़ते देखती थीं। बीमारी के बाद वजन बढ़कर 85 किलो तक पहुंच गया था। सब मोटी कहते थे। 2008 में मुलाकात पुराने कोच रामअवध यादव से हो गई। यही वह टार्निंग प्वाइंट था, जब नीलू ने खुद को फिर से दौड़ने के लिए तैयार करना शुरू कर दिया।
बेटे आकाश और पति आनन्द का भरपूर सहयोग मिला और सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता में स्वर्ण पद जीतने के साथ शुरू हुआ कारवां बढ़ता ही गया। भारतीय टीम की कप्तान रह चुकीं नीलू देश-विदेश में अब तक 74 नेशनल और इंटरनेशनल मेडल जीत चुकीं हैं। वह वाराणसी में स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ, बालिका पढ़ाओ, मतदाता जागरूकता व पोषणा अभियान की ब्रांड एम्बेसडर हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका मां किशोरी मिश्रा और अधिवक्ता सुदामा मिश्रा की बेटी नीलू अब पूरे देश की बेटियों व बहुओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं।